Thursday 12 January 2017

देशभक्ती के नाम पर मार्केटिंग


देशभक्ती की भावना को कूट कर जब कोई कम्पनी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती है तब वो बहुत बिकती है.
बीते साल में कई ऐसी कम्पनियों नें अपनी मार्केटिंग की जिससे लोग बेवकूफ ही बने.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'फेसबुक हेडक्वार्टर' जाने के बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग नें डिजिटल इंडिया के सपोर्ट में करोड़ों भारतीयों के फेसबुक प्रोफाईल पिक्चर में तिरंगे का फिल्टर लगा कर वाह वाही लूटी.
बाद में फेसबुक नें जबरन अपने यूजर्स से 'इंटरनेट डॉट ओआरजी' के समर्थन में फॉर्म भरवाए. बाद में भारतीय इंटरनेट यूजर्स नें TRAI (Telecom Resource Authority of India) से लिखित शिकायत कर फेसबुक के 'Net Neutrality' पे हमले पे पानी फेर दिया.
वहीं 'फ्रीडम 251' नाम के मोबाईल के लिए Ringing Bells Pvt Ltd नाम की कम्पनी नें लाखों यूजर्स का रजिस्ट्रेशन किया और ₹251 में मोबाईल फोन देने का वादा किया. इसमें 'डिजिटल इंडिया' के लेबल के साथ तिरंगे का उपयोग किया गया था. किसी भी व्यक्ति को फोन नहीं मिला.

चाईना का विरोध भारत में होता ही रहा है, पिछले वर्ष इस विरोध में तेजी देखी गई और भारतवासियों ने चाईना के उत्पादों का बहिष्कार किया. 
भारत में नोटबंदी के बाद लोगों नें 'पेटीएम' नाम के फोन एप्प का प्रयोग पैसों के लेन-देन के लिए किया. 'पेटीएम' नें भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो के साथ-साथ 'डिजिटल इंडिया' के बैनर के तले लोगों से पैसे कमाए. जब्कि 'पेटीएम' में चीनी कम्पनी 'अली बाबा' के शेयर हैं. वहीं पेटीएम खुद को स्वदेशी कहती है.

ऐसे कई अन्य कम्पनियां रही होंगी जिसने लोगों के देशभक्ति के भावनाओं से पैसे बनाए होंगे.
लोगों को आसपास हो रही ऐसी मीर्केटिंग से सतर्क रहने की आवश्यक्ता है.