Saturday 26 December 2015

ख़यालों की पेंटिंग

मैं पलके बिना झपकाए हुए वो चेहरा अपनी आँखों के सामने महसूस करता हूँ जो किसी पेंटिंग के सामने खड़े हो कर उसकी तारीफ किए बिना नहीं हटती.
ये लफ्ज़ नहीं कर पाएँगे उस कथन को पूरा जो की तुम्हारी यादों को नोटबुक में मुझे उतारने को मेरे मन नें कहा था. थका हूँ. ये थकान अपने ख़यालों के कैनवस पे बनाए गए उस रंगीन पेंटिंग की है जिसमें मुझे तुम्हारा ही चेहरा दिखता था. मैने उसमें हमारा रंग भर दिया है. नीला रंग. तुम्हारी आँखों की तरह. गाढ़ा नहीं पर हल्का भी नहीं . ये पेंटिंग मैं अपने ख़यालों में बने हुए तुमको ख़यालों में ही गिफ्ट करना चाहूँगा. वहाँ डर नहीं है. असल में तुम रिजेक्ट कर दोगी. मैं बेसुरा पेंटर हूँ. बेसुरा हो तो पेंटिंग का क्या कनेक्शन ? मैं गुनगुनाते हुए तुम्हारी पेंटिंग बनाता हूँ न......

Thursday 24 December 2015

कोसता हूँ उस टेक्नोलॉजी को...


तुम्हारे 'व्हाट्सएप्प' प्रोफाईल पे घूमना एक लफंगे जैसा एहसास कराता है मुझे.. दिन में सैकड़ों बार तुम्हारे 'प्रोफाईल पिक्चर' को गहरी साँसे ले कर देखता हूँ.. गहरी साँसे ? हाँ उन तस्वीरों को देख कर जीने का एक नया बहाना मिल जाता है मुझे.. पिछले हफ्ते ही तो तुमने अपना स्टेटस बदला था.. तुम खुद कुछ क्यों नहीं लिखती ? दूसरों का कॉपी किया हुआ पढ़ना मुझे अच्छा नहीं लगता.. तुमने अपना 'लास्ट सीन' शायद मेरे वजह से ही बंद कर रखा है.. मैं बुरा नहीं मानता कि तुम कब-कब ऑनलाईन हो.. इंटरनेट नें हमें कहाँ ला दिया है.. दूर हो कर भी पास होनें का वो एहसास मेरे दिल को कितना सुकून देता है..
ये शायद पाँचवी बार है जब तुम्हे मैने मैसेज किया है.. तुम इस बार भी कहीं गुम हो.. व्हाट्सएप्प की वो दो 'नीली लकीरें' मुझे ये बता देती हैं की तुमनें मेरा मैसेज पढ़ लिया है.. मैं कोसता हूँ उस टेक्नोलॉजी को जिससे मैं ये तो जान पाया की मेरी बातें तुम तक पहुँच चुकी हैं पर उस मजबूरी को न जान पाया जो मेरे मैसेज के रिप्लाई देने से तुम्हें रोक रही हैं..





































सब्जेक्ट ऑफ लव

• ये 'खून' सी लाल चूड़ियाँ और ये 'क्लोरोफिल' से हरी हुई 'पत्तियों' जैसी 'हेयर पिन' तुम्हारी पर्सेनालिटी पे गज़ब लगती हैं..
चुप क्यों हो ? मेरे 'ब्रेन' ने कुछ ग़लत तारीफ की क्या ?
नहीं बिल्कुल नहीं. तुम्हारी हर बातें मेरे 'हार्ट' को ज़्यादा 'ब्लड' पंप करने को कह रहे हैं . ब्लड प्रेशर से मैं चुप हो गई हूँ..
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#बप्रेक ( #बायोलॉजी_प्रेम_कथा )




• मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हे समझना 'अॉर्गेनिक केमिस्ट्री' जैसा मुश्किल क्यों है ?
झूट कम बोलो .कौन से तुम बेसिक 'अॉक्सिडेशन रिएक्शन' जैसे मेरी बात समझ लेते हो ?
"अच्छा बाबा मुझे मनाना बंद करो .वैसे भी मैं कोई 'प्रेसिपिटेट' नहीं जो कि तुम्हारे बातों के 'रिएक्शन' से जम जाऊँगा.."
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#कप्रेक ( #केमिस्ट्री_प्रेम_कथा )

• "जब मैने अपने गाड़ी के 'कॉनवेक्स मिरर' में तुम्हें देखा तब मेरे ख़ून की 'वेलॉसिटी' बढ़ गई थी..तुम'प्रोजेक्टाईल बॉडी' की तरह मेरे पास आई और मुझे 'रफ़' बातों से मुझे गाड़ी को 'एक्सेलेरेट' करने को कहा.. "
तुम्हे ये पता ही नहीं था कि तुम्हारे 'रफ़' बातों से एक 'फ्रिक्शन' पैदा हुआ और मैं चाह कर भी गाड़ी नहीं बढ़ा पाया.. 
तुम्हारी बातों की 'फ्रीक्वेंसी' इतनी कम थी कि मेरे 'इयर ड्रम' बस उन्हें सुनना पसंद कर रहे थे..
मैं कैसे बताऊँ कि कितना 'काईनेटिक एनर्जी' मुझे वहाँ से जाने में लगा.. तुम्हे वो सब याद है या नहीं ?
हाँ !मुझे सब याद है कि कैसे मेरी बातों से लोग जमा हो गए थे और तुम पर 'न्यूटन के तीसरे लॉ' को तुम पे समझने की बातें कर रहे थे..
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#फ़ल्रेक ( #फ़ीजिक्स_लव_स्टोरी )